Poem on backbenchers in Hindi

कॉलेज के वो दिन, लौट के ना आएंगे।
फिर से जैसे दोस्त, ना कभी मिल पाएंगे।
कैंटीन कि वह चाय, क्लास के लिए
हम कभी समय पर ना पहुँच पाए।…..Read More