Poem on backbenchers in Hindi

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कॉलेज के वो दिन

कॉलेज के वो दिन, लौट के ना आएंगे।
फिर से जैसे दोस्त, ना कभी मिल पाएंगे।

कैंटीन कि वह चाय, क्लास के लिए
हम कभी समय पर ना पहुँच पाए।

यारो, चाहे कितने दूर चले जाओ,
पर साथ रहेंगे यादों के साये।

एक साथ कैंटीन में बैठक,
लोगों को उतारना।

ग़लती सबकी होती थी पर,
किसी एक पर बिल फाड़ना।

जन्मदिन के केक का,
जो होता था बुरा हाल।

कॉलेज में सब ग़रीब होते थे,
पैसों का रहता था काल।

बेचारे हॉस्टल वालों के,
अलग होते थे रोने।

ना अच्छा खाना और,
कपड़े भी थे धोने।

हर हँसी और ग़म में,
हम एक दूजे के साथ खड़े थे।

हर मुसीबत में यह कदम,
साथ में आगे बढ़े थे।

एक छोटा सा परिवार,
बन गया था हमारा।

दोस्त ही होते थे,
एक दूजे का सहारा।

कॉलेज के वो दिन,
लौट के ना आएंगे।

फिर से वैसे दोस्त,
ना कभी मिल पाएंगे।।

सब यार

सब यारो के याराने दिल को फिर याद आये 

वह बीते पुराने लम्हे फिर याद आये..

वह पहला दिन, वह पहली सी बातें

आज वह दोस्त सब भिछ्ड़े तो लम्हे याद आये..

देखा था जिन्हे कभी अजनबी सा हमने 

आज वही खास इतने की किसी को क्या बताये..

वो यारो की महफ़िल, वो किताबो के ढेर 

वो रातो की रतजगे, वो क्लास रोमं में सब ढेर..

देखा आज उस क्लास रूम की तरफ 

तो वह दोस्त मुस्कुराते बड़े याद आये..

अब यही कुछ दिन है, कुछ दिन की सोहबत 

भिछाड़ेगे सब ऐसे की हर मुस्कान पर याद आये..

कोई इस शहर कोई उस शहर, कोई इस गली,

कोई उस गली, निकलेंगे जब इस राह से, वो राहगीर याद आये..

दिल टूटा यह सोचकर, कितनो को आखरी दफा देखेंगे 

वह बात दिल पे छुबि, के ज़हाकाम आर – पार दिखाई आये..

हुए गले मिलकर जुदा, किया वादा अब रहेंगे हमेसा यहाँ 

आँखे नाम हुई, तो चुप करते नज़र आये..

यही तो ज़िन्दगी है जो आगे बड़ी अपने मुकाम से 

शुरूवात  है अभी, न जाने आगे कितनो  के  जाने आये..

राह

राह देखी थी इस दिन की कब से!
आगे के सपने सजा रखे थे ना जाने कब से!!

बड़े उतावले थे यहाँ से जाने को!
जिन्दगी को अगला पड़ाव पाने को!!

पर ना जाने क्यों दिल में आज कुछ और आता है!
वक़्त को रोकने का जी चाहता है!!

जिन बातो को लेकर कभी रोते थे आज उन पर हँसी आती है!!
कहा करते थे, बड़ी मुश्किल से चार साल सह गए!

पर आज क्यों लगता है जिन्दगी के सबसे अच्छे पल पीछे रह गए!!
मेरी टांगे अब कौन खीचा करेगा!

सिर्फ मेरा सर खाने को कौन मेरे पीछे पड़ेगा!!
कौन रात भर जाग जाग कर मुझे सताएगा!

कौन मेरे रोज नए नए नाम बनाएगा!!
कौन फ़ैल होने पर दिलासा दिलाएगा!

कौन गलती से नंबर मिलाने पे गाली सुनाएगा!!
ढाबे पर चाय किसके साथ पियूँगा!

वो हसीन पल फिर कब मैं जियूँगा!!
मेरे गानो से परेशान कौन होगा!

कभी मुझे किसी लड़की से बात करते हैरान कौन होगा!!
दोस्तों के लिए प्रोफेसर से कब लड़ पायेगे!

क्या ये सब हम फिर कर पायेगे!!
कौन मुझे मेरी काबिलियत पर भरोशा दिलाएगा!

और ज्यादा हवा में उडने पर जमीन पर लाएगा!!
मेरी ख़ुशी देखकर सच में खुश कौन होगा!

मेरे गम में मुझ से ज्यादा दुःखी कौन होगा!!

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